स्वास्थ्य : चिकित्सा सहायता प्रणाली (सिस्टम) सुधारना

आजकल, चिकित्सा शिक्षा बिखर रही है और स्वास्थ्य सेवाओं के दाम दिन ब दिन बढ़ रहे हैं | स्व-वित्तीय संस्थानों में बढोत्तरी के कारण, बहुत से होशियार विद्यार्थी दाखिला लेने में समर्थ नहीं होतें और कम मेहनती और कम होशियार विद्यार्थियों को सीटें मिल रही हैं | इससे डॉक्टरों का हुनर तेजी से घटेगा आने वाले समय में | ऊपर से, मंत्रियों और अफसरों द्वारा ऐसे टेड़े-मेढ़े कानून बनाये जा रहे हैं जिससे दवा बनाने के उद्योग में मुकाबला कम होगा और इससे दवाओं की कीमत में उछाल आएगा | कौन से राजपत्र अधिसूचना ड्राफ्ट इस समस्या को कम कर सकते हैं ?

हम निम्नलिखित बिंदु प्रस्तावित करते हैं चिकित्सा शिक्षा को सुधरने और दवाओं के दाम कम करने के लिए (ड्राफ्ट अभी तैयार नहीं है):

  1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्री, राज्य स्वास्थ्य मंत्री, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, भारतीय मेडिकल परिषद के अध्यक्ष और राज्य मेडिकल परिषद के अध्यक्ष पर राईट टू रिकॉल : ये शीर्ष अंगों में भ्रष्टाचार कम करने के साथ ही सामान्य क्षमता और पारदर्शिता में सुधार करेगा |
  2. बहुत बार डॉक्टर जानबूझकर महंगी दवायें लिखते हैं जब कि सस्ती दवा उपलब्ध हैं | समाधान ? अगर मरीज जो दवा ले रहा हैं, उसका खुलासा चाहता हैं, तो दवा बेचने वाले रोगी की दवा की सूची के साथ में, रोगी के मोबाइल नंबर और ईमेल आई.डी. की जानकारी दर्ज करेगा | तो मुकाबले में दूसरे कम्पनियाँ, समान दवा की जानकारी सस्ते दाम के साथ भेज सकती हैं |
  3. टी.सी.पी. का उपयोग करके, प्रोडक्ट पेटेंट कानून को हटाना और फिर से प्रोसेस पेटेंट कानून लाना | इससे बहुत सारी छोटी कंपनियों को उत्पादन शुरू करने में मदद मिलेगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी (मुकाबला बढ़ेगा) और परिणाम स्वरुप कीमतें घटेंगी |
  4. टी.सी.पी. का उपयोग करके, एक कानून लागू करना कि एक एम.बी.बी.एस. डिग्री पाने वाले व्यक्ति 8 सालों के लिए भारत नहीं छोड़ सकते और डी.एम. डिग्री वाले अगले 2 सालों के लिए देश नहीं छोड़ सकते और एम.डी. अगले 3 सालों के लिए देश नहीं छोड़ सकते |
  5. टी.सी.पी. का उपयोग करके, चिकित्सा में सभी स्व-वित्तीय सीटें (पैसों से खरीदी गयी सीट) समाप्त करें | सभी चिकित्सा महाविद्यालय की शून्य ट्यूशन फीस होगी |
  6. सरकार एक वेबसाईट बनाएगी जिस पर दवा कंपनियां, पंजीकृत डॉक्टर इत्यादि किसी दिए गए ब्रांड नाम के बराबर की दवाई की सलाह दे सकते हैं | इससे रोगी को पता करने में मदद होगी कि डॉक्टर ने एक महंगी दवा या सस्ती दवा लिखी है |