नागरिकों और सेना के लिए खनिज आमदनी (एम.आर.सी.एम) का ड्राफ्ट एक ऐसी प्रशासनिक प्रक्रिया बताता है जो एक राष्ट्रीय स्तर का अफसर (जो नागरिकों द्वारा बदला जा सकेगा) को अधिकार देगा कि वो पब्लिक जमीनों के किराये और खदानों की आमदनी को सीधे नागरिकों के बैंक खाते में जमा करवा सकता है . ये कानून नागरिकों को देश के प्राकृतिक संसाधनों पर उनके वास्तविक अधिकार और विरासत के हिस्से का पैसा देगा. ये कानून लागू होने पर कुछ ही महीनों में गरीबी दूर होगी और सेना शक्तिशाली होगी और हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा देगा.

ये पैसा कितना होगा ? ये इसपर निर्भर करता है कि उस समय जमीन का किराया कितना होगा और उस समय खनिज रोयल्टी (आमदनी) कितनी होगी – अंदाज से ये राशि प्रति व्यक्ति प्रति महीना 200 रुपये से 800 रुपये तक हो सकती है.

अथर्वेद कहता है : अहम रस्थ्रिम वसुनम संगामी अर्थात मैं राष्ट्र सभी प्रक्रित्रिक संसाधनों का मालिक हूँ. अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति, थॉमस जैफरसन ने कहा था –

“ये एक विवादस्पद प्रश्न है कि क्या किसी भी प्रकार की संपत्ति की उत्पत्ति सिर्फ प्रकृति से हुई हैं… इसे उन लोगों ने माना है जिन्होंने इस विषय को गंभीरता से लिया है कि एक एकड़ भूमि में अलग संपत्ति पर भी एक व्यक्ति विशेष का प्राकृतिक अधिकार नहीं है. एक सर्वव्यापी कानून के अनुसार, दरअसल, कोई भी चल या अचल (संपत्ति) सभी जन का सामान रूप से उस पर मालिकाना हक है . जिसका इस संपत्ति पर अभी कब्जा है, अभी के लिए वो संपत्ति उसकी है, लेकिन जब वो ये कब्जा छोड़ देता है, तो उसकी मालिकाना हक समाप्त हो जाता है…” 1813 में इसॉक मैकफरसन को थॉमस जैफरसन कहते हुए.

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