महंगाई काम करना, भारतीय रिसर्व बैंक सुधारना 

(1) महंगाई का असली कारण क्या है ?

उत्तर 1 –

सामान्य तौर पर महंगाई तभी बढ़ती है जब रुपये (एम 3) बनाये जाते हैं लोन,आदि के रूप में और भ्रष्ट अमीरों को दिए जाते हैं, जिससे प्रति नागरिक रुपये की मात्रा बढ जाती है और रुपये की कीमत घाट जाती है और दूसरे चीजों की कीमत बढ जाती है जैसे खाद्य पदार्थ/खाना-पीना, तेल आदि |

भारतीय रिसर्व बैंक के आंकडो के अनुसार, प्रति नागरिक रुपये की मात्रा (देश में चलन में कुल नोट, सिक्कों और सभी प्रकार के जमा राशि का कुल जोड़ को कुल नागरिकों की संख्या से भाग किया गया) सन् 1950 में लगभग 65 रू. थी और सन् 2011 में लगभग 50,000 रू. प्रति नागरिक थी |

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हर वस्तु की कीमत एक दुसरे से सम्बंधित है और मांग और आपूर्ति के अनुसार (सप्लाई) निर्धारित (पक्का) होती है |

इसे एक उदहारण से समझिए | आसानी से समझने के लिए, मान लीजिए, केवल एक बाज़ार है और कुछ नहीं | बाज़ार में, एक बेचनेवाला है जो 10 रू. प्रति किलो आलू बेचता है और एक खरीददार है जिसके पास 100 रू. हैं | अब मान लीजिए, अगली स्थिति में, बेचनेवाले के पास 10 किलो की जगह 20 किलो आलू है, क्या आलू की कीमत घटेगी या बढ़ेगी ?

सरल सा अनुमान – यह घटेगी क्योंकि आलू की सप्लाई बढ़ गयी थी |

एक और स्थिति में, मान लो उस व्यापारी के पास 10 किलो आलू है पर अब दो खरीददार हैं और हर एक के पास 100 रू. हैं | क्या आलू की कीमत घटेगी या बढ़ेगी ?

सरल सा अनुमान – आलू की कीमत बढ़ेगी क्योंकि रुपयों की सप्लाई बढ़ गयी है और रुपए की कीमत घटेगी और अन्य वस्तुओं जिनमें शामिल है खाने-पीने का सामान, पेट्रोल, गैस आदि की कीमतें बढ़ेगी |

वास्तविकता में यही हों रहा है |

(2) ये रूपये कौन बनाता है और ये रूपये कहाँ से आते हैं (रूपये = एम3 देश में सभी नोट, सीके और सभी प्रकार की राशि का जोड़) ?

उत्तर 2 –

रिसर्व बैंक के पास लाइसेंस हैं रुपयों को बनाने का और अनुसूचित बैंक के पास भी (बैंक जिनको रिसर्व बैंक ने लाइसेंस दिया है रुपयों को बनाने का जमा राशि के रूप में) | कोई गोल्ड स्टेंडर्ड अभी नहीं है (कि जितना सोना है, उतना ही पैसा बना सकते हैं), क्योंकि वो कई दशक पहले पूरी दुनिया में रद्द हों चूका था | रिसर्व बैंक गवर्नर (रिसर्व बैंक राज्यपाल) सरकार के निर्देशों पर रुपयों का निर्माण करता है |

केवल रिसर्व-बैंक ही नोट छाप सकती है और सिक्के बना सकती है लेकिन अनुसूचित बैंक जैसे भारतीय स्टेट बैंक, आई.सी. आई.सी.आई , आदि भी रूपये का निर्माण (एम3) जमाराशि के रूप कर सकते हैं |

रुपयों की सप्लाई बढ़ने से रूपये का दाम काम हों जाता है और ये अन्य सामान जैसे खाने-पीने का सामान, पेट्रोल, गैस आदि की कीमतें बढ़ा देता है और ये सामान्य मंहगाई का मुख्य कारण है |

(3) रिसर्व बैंक और अनुसूचित बैंक रूपये क्यों बनाते हैं ?

उत्तर 3 –

वे ऐसा अमीर और भ्रष्ट लोगों के लिए करते हैं | मुझे एक उदहारण देने दीजिए | मान लीजिए एक अमीर कंपनी है जिसकी सांठ-गाँठ रिसर्व बैंक गवर्नर, वित्त मंत्री आदि के साथ है | वे एक सरकारी बैंक से रू. 1000 करोड़ का कर्ज लेते हैं और वापस रू. 200 करोड़ चूका देते हैं | और क्योंकि उनकी सांठ-गाँठ है, वे वित्त मंत्री, रिसर्व बैंक गवर्नर आदि को कहेंगे कि वे उनको हिस्सा (रिश्वत) देंगे और बदले में वे उनकी कंपनी को दिवालिया घोषित करवा दे |

तो कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है | अब यदि बैंक ये रू. 800 करोड़ का घाटा लोगों के सामने घोषित कर देता है, तब बैंक भी दिवालिया घोषित हों जायेगा और बैंक के ग्राहक को भी अपनी जमा राशि खोनी पड़ेगी और ग्राहक, जो आम नागरिक मतदाता हैं, शोर करेंगे और सरकार को लोगों का गुस्सा झेलना पड़ेगा | इस स्थिति से बचने के लिए, सरकार रिसर्व बैंक गवर्नर / अनुसूचित बैंकों को 800 करोड़ रूपये बनाने के लिए कहती है | ये ज्यादा रुपयों की सप्लाई, जब बाज़ार में आती है तो रूपये की कीमत घट जाती है और समान की कीमत बढ़ जाती है |

(4) इसे रोकने का समाधान क्या है ? हमें सरकार को हटा देना चाहिए या हमें अच्छी नीतियां बनाने की जरुरत है?

उत्तर 4 – ये अमीरों के लिए रूपये का अवैध निर्माण कांग्रेस के और बीजेपी के भी शासनकाल से हो रहा था | इसीलिए किसी एक सरकार को हटाकर दूसरी सरकार लाना समस्या का समाधान नहीं है |

इसके समाधान निम्नलिखित है –

(a) वित्त मंत्री और रिसर्व बैंक गवर्नर पर राईट टू रिकॉल – वर्तमान में, रिसर्व बैंक गवर्नर सरकार के निर्देशों पर अमीरों के लिए रुपयों का निर्माण भ्रष्ट रूप से करता है | एक बार रिसर्व बैंक गवर्नर और वित्त मंत्री की कुर्सी सीधे जनता के प्रति जवाबदेह होगी, ये ऐसा कुछ नहीं करेंगे | कृपया राईट टू रिकॉल-रिसर्व बैंक गवर्नर की प्रक्रिया smstoneta.com/prajaadhinbharat के अध्याय 9 में देखें |

(b) रिसर्व बैंक गवर्नर रुपयों का निर्माण सिर्फ तब ही कर सकेगा जब भारत के 51% नागरिक उसे स्वीकृति प्रदान करेंगे | इसके लिए हमें पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली चाहिए (smstoneta.com/prajaadhinbharat के अध्याय 1 में देखें) |

कृपया smstoneta.com/prajaadhinbharat का अध्याय 23 भी देखें और ‘मंहगाई के असली कारण’ जानने के लिए smstoneta.com/prajaadhinbharat/faq4 देखें |