कानून बनाने (के कार्य) में समस्‍याएं

अभी, कानून-बनाने की प्रक्रिया में मूल रूप से दो समस्याएं हैं –

  1.   पहली समस्‍या : सांसद, विधायक आदि वैसे कानून नहीं बनाते जैसा हम नागरिक चाहते हैं. उदाहरण : सांसदगण `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून लागू करने से मना/इनकार करते हैं, जिस कानून से हम आम लोगों को `आई.आई.एम.ए.`प्‍लॉट, हवाई अड्डों आदि जैसे सरकारी प्‍लॉटों से जमीन का किराया मिल सकता था. इसी प्रकार, सांसदों ने प्रजा अधीन – सुप्रीम-कोर्ट के जज, प्रजा अधीन – हाई-कोर्ट के जज, प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री  आदि कानून लागू करने से मना/इनकार कर दिया है.
  2.   सांसद वैसे कानून बनाते हैं जो नागरिकगण नहीं चाहते है. उदाहरण – जब बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनियां सांसदों को घूस देती हैं तो सांसद पेटेंट कानून लागू करते हैं जो दवाइयों की कीमत कई गुना बढ़ा देती है.

क्‍यों सांसद, विधायक ऐसा बर्ताव करते हैं ? केवल भ्रष्‍टाचार के कारण, इसका और कोई कारण नहीं है. सांसद और विधायक कुछ कानूनों को पास न करने के लिए घूस लेते हैं और कुछ कानूनों को पास/पारित करने के लिए घूस लेते हैं. नागरिकों के पास उन्‍हें झेलते के अलावा और कोई चारा नहीं है क्‍योंकि नागरिक इन्‍हें हटा नहीं कर सकते और ना ही कानून आदि ही बदल सकते हैं.

पहली समस्‍या का समाधान

यदि टी.सी.पी. (प्रस्तावित नागरिक प्रामाणिक मीडिया पोर्टल) प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा भारतीय राजपत्र में डाल दिया जाता है, तो नागरिक आपस में प्रभावशाली तरीके से दूसरे नागरिकों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं और आम्म-राय पर सहमति बना सकते हैं कि उन्हें राजपत्र में क्या चाहिए और उन्हें राजपत्र में क्या नहीं चाहिए.

टी.सी.पी, राईट टू रिकॉल – प्रधानमंत्री और राईट टू रिकॉल – सांसद कानून पहली समस्‍या का समाधान कर देते हैं. यदि सांसद कानून बनाने/लागू करने पर राजी नहीं होते तो टी.सी.पी. का प्रयोग करके नागरिक प्रधानमंत्री/सांसदों को उस कानून को लागू करने के लिए बाध्‍य कर सकते हैं. और राईट टू रिकॉल – प्रधानमंत्री, राईट टू रिकॉल – सांसद का प्रयोग करके नागरिक उन प्रधानमंत्री व सांसदों को निकाल सकते हैं, जो सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसलिए, यह समस्‍या कि सांसद `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’  , प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) आदि जैसे कानून लागू नहीं कर रहे हैं, का समाधान ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ से हो सकता है.

दूसरी समस्‍या का समाधान

कई बार, हम देखते हैं कि बहु-राष्‍ट्रीय कम्‍पनियां आदि सांसदों को घूस दे देती हैं और कानून पास करवा लेती हैं. उदाहरण – 2005 में, भ्रष्ट सांसदों ने ऐसे पेटेंट कानून पारित किये जिनसे दवाइयों की कीमत बढ़ गयी और उस कानून को पारित करने के लिए नागरिकों से कोई भी स्वीकृति नहीं ली गयी थी.

इस समस्‍या को कम करने के लिए हम क्‍या प्रस्‍ताव कर रहा हैं ?

कानून बनाने में, कोई भी कानून प्रधानमंत्री के अनुमोदन के बिना शायद ही कभी पारित होता है. सर्वाधिक भ्रष्‍ट कानून भी प्रधानमंत्री के सहयोग से ही पास होता है। आज की स्‍थिति के अनुसार, प्रधानमंत्री नागरिकों की परवाह नहीं करते क्‍योंकि नागरिकों के पास प्रधानमंत्री को हटाने/बदलने की कोई प्रक्रिया नहीं है। इसलिए राईट टू रिकॉल – प्रधानमंत्री कानून प्रधानमंत्री को भ्रष्‍ट कानूनों को पास करने से रोकेगा. और राईट टू रिकॉल – सांसद (कानून) सांसदों को भी भ्रष्‍ट कानून पारित करने से रोकेगा.

इसके अलावा, प्रस्तावित कानूनों में से एक कानून है कि जूरी की सहमति से सांसद तथा प्रधानमंत्री स्वेच्छा से अपने पर पब्लिक में नार्को जांच करवाने की मांग कर सकते हैं.  यह कानून सांसदों/प्रधानमंत्री द्वारा घूस लेकर कानून पास करने में भयंकर रूकावट पैदा करेगा.

इसके अलावा, मान लीजिए, सांसद और प्रधानमंत्री अभी भी बहु-राष्‍ट्रीय कम्‍पनियों से घूस लेकर या अन्‍य कारणों से किसी भ्रष्‍ट कानून को पारित करने का साहस करते हैं, तो राईट टू रिकॉल – सुप्रीम कोर्ट जज और राईट टू रिकॉल – हाई कोर्ट जज कानून इस बात की संभावना बढ़ा देगा कि सुप्रीम कोर्ट के जज और हाई कोर्ट के जज ऐसे कानून को तत्‍काल रद्द कर देंगे क्‍योंकि उन्‍हें भी यह चिन्‍ता रहेगी कि ऐसा न करने पर नागरिक उन्‍हें ही हटा/बदल देंगे.

टी.सी.पी. स्‍वयं ही इस बात की संभावना कम कर देता है कि सांसद और विधायक घूस लेकर किसी कानून को लागू भी करेंगे. क्‍योंकि मान लीजिए, कोई कम्‍पनी किसी कानून को लागू कराने के लिए हर सांसद को 1 करोड़ रूपए घूस देती है जिसका कुल योग 800 करोड़ रूपया होता है. अगले ही दिन, नागरिक टी.सी.पी. का प्रयोग करके उस कानून को रद्द कर सकते हैं और इस प्रकार वह कम्‍पनी अपने सभी 800 करोड़ रूपए से हाथ धो बैठेगी और वास्‍तव में उसे कुछ भी नहीं मिलेगा.

इन सभी सुरक्षा उपायों को देखते हुए, इस बात की संभावना अब नहीं रह जाती है कि सांसद घूस लेकर कानूनों को लागू करेंगे.

अधिक जानकारी के लिए कृपया ये लिंक देखें – For more details, please see smstoneta.com/prajaadhinbharat और tinyurl.com/NarcoJury