भारतीय भाषाओँ का बढ़ावा – कुछ प्रस्ताव

A. संक्षिप्त भूमिका

हम अक्सर देखते हैं कि राजनीतिग्य और कार्यकर्ता किसी भाषा पर शोर मचाते हैं. कार्यकर्ता चाहता है कि उसकी प्रिय भाषा को बढ़ावा करे और ये चाहता है कि उसकी प्रिय भाषा दूसरी भाषाओँ पर हावी रहे (वर्चस्व) और प्रशासन, स्कूल, ऑफिस और कोर्ट में प्रयोग हो. लेकिन पहले हम ये समझते हैं कि किसी भाषा के हावी होने के कौनसे कारण हैं.

B. किसी भाषा के वर्चस्व (हावी होना) या गैर-वर्चस्व के कारण

संक्षिप्त में, एक भाषा का दूसरी भाषाओँ पर हावी होने में जो कारण मदद करते हैं, उन्हें दो वर्ग में बांटा जा सकता है – कारण जो उस भाषा की मांग बढ़ाते / कम करते हैं और कारण जो उस भाषा की सप्लाई (पूर्ति)  बढ़ाते / कम करते हैं –

a. भाषा की मांग – कुछ कारण जो किसी भाषा की मांग स्वाभाविक रूप से या कृत्रिम रूप से बढ़ाते हैं – भाषा बोलने वालों की सैनिक और आर्थिक शक्ति, क्या उस भाषा के बोलने वाले प्रशासन और कोर्ट में उच्च पद पर हैं, भाषा के बोलने वालों की जनसंख्या, वैज्ञानिक और तकनिकी सिस्टम जैसे फिल्म, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आदि में उस भाषा का प्रयोग, और दूसरी बाजार के तत्व.

b. भाषा की सप्लाई – कुछ कारण जो किसी भाषा की सप्लाई बढ़ाते हैं – उस क्षेत्र का शिक्षा प्रणाली जनसमूह को कितने प्रभावशाली तरीके से भाषा के शब्द सिखा पाती है.

हम इन कारण को कुछ उदाहरण के साथ समझते हैं –

a. भाषा की मांग सम्बंधित कारणों के उदाहरण  –

a1. भाषा बोलने वालों की सैनिक और आर्थिक शक्ति – उदाहरण –  एक  समय अंग्रेजों का राज्य पूरी दुनिया में था जिससे अंग्रेजी भाषा का चलन बड़े पैमाने पर फैला. अमेरिका, चीन जैसे देश जो विश्व के बाजार में अपना माल जैसे इलेक्ट्रानिक्स बना कर बेचते हैं, ऐसे देश अपनी भाषा को अधिक प्रभावशाली तरीके से फैला पाते हैं.

a2., a3. किसी भाषा के बोलने वालों का प्रशासन, कोर्ट में पद, भाषा बोलने वालों की जनसंख्या   –

हमारे देश के अधिकतर प्रदानमंत्री उत्तर प्रदेश से रहे हैं जहाँ हिंदी प्रचलित है जिससे पूरे देश में हिंदी का प्रभुत्व बढ़ा. इसके अलावा, हिंदी देश की 60% जनसँख्या द्वारा समझी जा सकती है.

a4. कोई भाषा वैज्ञानिक और तकनिकी सिस्टम जैसे फिल्म, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आदि में कितनी प्रयोग की जाती है –

पूरी देश और देश के बहार भी बोली-वूड की फिल्में काफी व्यापार करती हैं और फिल्मों द्वारा हिंदी भाषा का बढ़ावा होता है.

a5. दूसरे बाजार के तत्व

दूसरे बाजार के तत्व भी किसी भाषा की मांग बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं . उदाहरण – अंग्रेजी फॉण्ट यूनिकोड फॉण्ट की तुलना में कम बिट जगह लेते हैं, इसीलिए भारतियों भाषाओँ में भेजा गया एस.एम.एस अंग्रेजी में भेजे गए एस.एम.एस. से 2-3 गुना अधिक जगह लेता है. इस कारण से अंग्रेजी या अंग्रेजी लिपि में एस.एम.एस भेजना का प्रचालन है. इसी प्रकार यूनिकोड में लेख-सामग्री गैर-यूनिकोड में लेख-सामग्री से 2-3 गुना अधिक डिस्क की जगह लेते हैं.

b. भाषा की सप्लाई पर प्रभाव डालने वाले कारण का उदाहरण –

इस्राएल में पूरी दुनिया से यहूदी जो अलग-अलग भाषा बोलते थे, वे आकर इस्राएल में बसने लगे. और पुरातन हिब्रू , जो यहूदियों की भाषण थी, उसको कोई बोलता नहीं था और उसमें आजके प्रयोग किये जाने वाले चीजों के लिए शब्द भी नहीं थे. तो इस्राएल के लोगों ने आपस में संपर्क करके एक नयी हिब्रू भाषा बनाई. लेकिन केवल नयी भाषा बनाना पर्याप्त नहीं था. इस्रैलों ने एक पारदर्शी, प्रभावशाली और कम भ्रष्ट शिक्षा प्रणाली बनाई जिसके द्वारा नयी हिब्रू के शब्द इस्राएल के जन-जन तक पहुंचाए गए.

C. भारतीय भाषाओँ का बढ़ावा करने के लिए हमारे प्रस्ताव

  1. हरेक राज्य के मतदाता टी.सी.पी. मीडिया पोर्टल द्वारा उस राज्य की आधिकारिक भाषा कौनसी होनी चाहिए, उसके बारे में निर्णय कर सकेंगे. हरेक राज्य के मतदाता टी.सी.पी. मीडिया पोर्टल द्वारा 3 भाषा चुनेंगे जो उस राज्य के स्कूलों में पढाई जानी चाहिए और जो उस राज्य के सरकारी दफ्तरों और कोर्ट में प्रयोग होनी चाहिए. कृपया टी.सी.पी. मीडिया पोर्टल के बारे में अधिक जानने के लिए लिंक देखें –  यहाँ.
  2. दो भाषों में स्कूल की पुस्तकें और सरकारी दस्तावेज – जब टी.सी.पी. मीडिया पोर्टल द्वारा, राज्य के मतदाता ये निर्णय कर लेते हैं कि कौनसी भाषों का अधिकारिक रूप से प्रयोग होगा, तो स्कूल की पुस्तकों को दो भाषा वाली बनाया जा सकता है जिसमें एक पेज पर लेख-सामग्री एक भाषा में होगा और उसके बाद वाले पन्ने पर वोही लेख-सामग्री दूसरी भाषा में होगी. इसी प्रकार सरकारी दस्तावेज जैसे कानून आदि भी होंगे.
  3. हमने 100% भारतियों द्वारा स्वदेशी निर्माण का बढ़ावा करने के लिए कुछ प्रस्ताव किये हैं. कृपया इसकी अधिक जानकारी का लिंक देखें यहाँ.